पारिस्थितिक तंत्र के कुछ प्रमुख जैव रासायनिक चक्र || कार्बन चक्र क्या है? || What is Ecosystem?
कार्बन चक्र (Carbon Cycle):
आत्मपोषी पौधों अर्थात प्राथमिक उत्पादकों द्वारा कार्बन, वायु से कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में ग्रहण की जाती है। विविधपोषी जीव, कार्बन को विभिन्न कार्बनिक स्रोतों जैसे - ग्लूकोस, सुक्रोज, लैक्टोस, अमीनो अम्ल, पेप्टोस, सैलूलोज आदि से प्राप्त करते हैं।
यदि कोशिकीय श्वसन अपघटन व जीवाश्म ईंधनों के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण को पुनः प्राप्त न हो तो केवल एक वर्ष के भीतर ही संपूर्ण कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी से समाप्त हो जाएगी। कार्बन की एक बड़ी मात्रा जीवाश्मों (पेट्रोलियम पदार्थ, कोयला, प्राकृतिक गैस) से लंबे चक्रीय प्रक्रमो द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड वर्षा के जल में घुलकर कार्बनिक अम्ल का निर्माण करती है, जो कैल्शियम युक्त चट्टानों से अभिक्रिया करके कैल्शियम बाईकार्बोनेट का निर्माण करती है। वायु की कार्बन डाइऑक्साइड बाहर जाती है विकिरण ऊष्मा को अवशोषित करके ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती हैं। ग्रीन हाउस प्रभाव विश्व तापमान उत्थान से सीधा संबंधित है। UNEP ने विश्व पर्यावरण दिवस पर ( 5 जून 1989 ) लोगों को सचेत करने के लिए एक सही नारा " विश्व तापमान उत्थान : विश्व के लिए चेतावनी" दिया है।
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle):
नाइट्रोजन पौधों व जंतुओं दोनों के लिए ही एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। इसका उपयोग एमिनो अम्ल, प्रोटीन, एंजाइम, नाइट्रोजनी क्षारो, हाइड्रोजन ग्राही, न्यूक्लिक अम्लों, ATP साइटोक्रोम, फाइटोक्रोम, विटामिन, एल्केलॉयड आदि के निर्माण में होता है।
नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation):
वायुमंडल नाइट्रोजन का सबसे बड़ा स्रोत लगभग 70% है। यह एक जटिल जैविक प्रक्रिया है, जिसमें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सर्वप्रथम अमोनिया तथा इसके बाद एमिनो अम्लो में परिवर्तित किया जाता है, जो प्रोटीन निर्माण के आधारभूत तत्व हैं।
नाइट्रीकरण (Nitration):
अमोनिया का नाइट्राइट व इसके बाद नाइट्रेट में ऑक्सीकरण नाइट्रिकरण कहलाता है।
अमोनीकरण (Ammonification):
मुक्त अमोनिया विषैली होती है और इसका मृदा में एकत्रित होना हानिकारक होता है। अतः इसे नाइट्रिकरण द्वारा नाइट्रेट में परिवर्तित कर दिया जाता है।
विनायट्रीकरण (Denitrification):
विनायट्रीकरण द्वारा भूमि से नाइट्रोजन का ह्रास मौसमी बाढ़ अथवा अधिक सिंचाई के कारण भी होता है। यदि मृदा में नाइट्रेट अथवा अमोनिया की अधिकता हो जाती है तो विनायट्रीकरण जीवाणु इन्हें पुनः चक्रीकरण हेतु नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर देते हैं। पेयजल में नाइट्रेट की अधिक मात्रा में बच्चों में "ब्लू-बेबी-सिंड्रोम" या मिथैनाग्लोबोनिमिया नामक रोग हो जाता है।
फास्फोरस चक्र (Phosphorus Cycle):
पारिस्थितिक तंत्र के सभी आत्मपोषी व परपोषी जीवो में फास्फोरस जीवद्रव्यी पदार्थों ( न्यूक्लियोटाइड, न्यूक्लिक अम्ल, ATP, GTP NADP ) आदि का एक महत्वपूर्ण घटक है। फास्फोरस को पौधे मृदा से अपनी जड़ों द्वारा ऑर्थोफॉस्फेट के रूप में ग्रहण करते हैं तथा इसे अपने जीवनभार में सम्मिलित कर लेते हैं।
फास्फोरस चक्र में सम्मिलित हैं:-
1. मृत जीवो के शरीर में उपस्थित कार्बनिक फास्फोरस का सूक्ष्म जीवो द्वारा 'फाफेरस' एंजाइम की सहायता से अघुलनशील अकार्बनिक फास्फोरस के रूप में खनिजीकरण।
2. अघुलनशील अकार्बनिक फास्फोरस का घुलनशील अकार्बनिक फास्फोरस में रूपांतरण।
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