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राज्यसभा ( Upper House ) Important Facts for all Competitive Exams


संसद

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार संसद का गठन राष्ट्रपति, राज्यसभा एवं लोकसभा से मिलकर होता है। संसद के उच्च सदन को राज्यसभा एवं निम्न सदन को लोकसभा कहते हैं।

राज्यसभा
राज्यसभा का गठन 3 अप्रैल 1952 को किया गया। यह एक स्थाई सदन है इसका विघटन नहीं होता है।

राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का है। किंतु इसके एक तिहाई सदस्य प्रति 2 वर्ष बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं।

इसके प्रथम बैठक 13 मई 1952 को हुई। मंत्रिपरिषद राज्यसभा के प्रति उत्तरदाई नहीं होती हैं।


राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती हैं।इनमें से 233 सदस्यों का चुनाव राज्यों से और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं जो कला, साहित्य, विज्ञान एवं समाज सेवा में विशेष ज्ञान एवं अनुभव रखते हैं।

राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली तथा अनुपातिक प्रतिनिधित्व की पद्धति के अनुसार संघ के विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।

राज्यसभा के सदस्य के लिए जरूरी है कि उसकी न्यूनतम आयु सीमा 30 वर्ष हो। तथा उसका नाम उस राज्य के किसी निर्वाचन क्षेत्र की सूची में हो जिस राज्य से वह राज्यसभा का चुनाव लड़ना चाहता है किंतु नवीनतम संशोधन के द्वारा यह अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।

भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।

राज्यसभा अपने सदस्यों में से किसी एक को 6 वर्ष के लिए उप सभापति निर्वाचित करती है।

राष्ट्रपति वर्ष में कम से कम 2 बार राज्य सभा का अधिवेशन आहूत करता है। राज्य सभा की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक में छह माह से अधिक अंतर नहीं होना चाहिए।

राज्यसभा लोकसभा से पारित किसी धन एवं वित्त विधेयक को स्वीकार नहीं कर सकती और न ही संशोधन कर सकती है। सिर्फ सुझाव दे सकते हैं और सुझाव मानना या ना मानना लोकसभा पर निर्भर करता है।

जब लोकसभा द्वारा पारित किसी धन विधेयक को राज्यसभा में भेजा जाता है तो राज्यसभा को प्राप्त होने के बाद 14 दिन के अंदर उसे लोकसभा को लौटाना अनिवार्य है अन्यथा वह विधेयक न लौटाने की स्थिति में भी राज्यसभा द्वारा पारित माना जाता है।

अनुच्छेद 249 के अनुसार केवल राज्यसभा सदन में उपस्थित एवं मतदान करने वाले कुल सदस्यों के दो तिहाई मत द्वारा राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय हित का महत्व घोषित कर दे तो संसद को उस पर कानून निर्माण की शक्ति प्राप्त हो जाती है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 के अनुसार राज्य सभा उपस्थित या मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव के द्वारा किसी अखिल भारतीय सेवा का सृजन कर सकती है।

चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, दमन व दीव, दादर - नागर हवेली एवं लक्षदीप को राज्य सभा में प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है।


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