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राज्य विधानमंडल (State legislature, art-168), विधान परिषद(legislative Council, art-171)


State legislature
राज्य विधान मंडल


मंत्रीपरिषद

• 91 वें संविधान संशोधन द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की अधिकतम संख्या विधानसभा के कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं होगी।

• वह मंत्री जो विधान मंडल का सदस्य नहीं है उसे 6 माह के भीतर अनिवार्य रूप से किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा।
• मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा होती है।

• अनुच्छेद 164 के अनुसार मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।


कोरम (गणपूर्ति )


• कार्य करने के लिए उपस्थित सदस्यों की एक न्यूनतम संख्या को कोरम कहा जाता है। कोरम कुल सदस्यों का दसवां (1/10) हिस्सा होता है।

• राज्य विधानमंडल के तीन अंग है - विधान परिषद, विधानसभा और राज्यपाल।

विधान परिषद
• अनुच्छेद 171 के तहत विधान परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में 6 राज्यों (आंध्रप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ) में विधान परिषदों का अस्तित्व है।

• विधान परिषद एक उच्च एवं स्थायी सदन है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष तक रहता है। इसके 1/3 सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष में सेवानिवृत्त होते रहते हैं।

अनुच्छेद 171(1) के अनुसार विधान परिषद वाले राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी।

• किसी विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी। उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में सर्वाधिक 100 सदस्य हैं।

अनुच्छेद 171(4) के अनुसार विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।

अनुच्छेद 173 के तहत विधान परिषद सदस्यों की योग्यताएं निहित है। विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होने के लिए कम से कम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए।

अनुच्छेद 192 के अनुसार विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य किसी योग्यता से ग्रस्त है या नहीं इस प्रश्न का विनिश्चय राज्यपाल निर्वाचन आयोग के परामर्श से करता है।

• विधान परिषद अपने सदस्यों में से दो को सभापति एवं उपसभापति चुनती है। सभापति एवं उपसभापति को विधान मंडल द्वारा निर्धारित वेतन एवं भत्ते प्राप्त होते हैं।

• सभापति उपसभापति को संबोधित कर एवं उप सभापति सभापति को संबोधित कर राजपत्र दे सकता है अथवा परिषद के सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा उसे पद से भी हटाया जा सकता है, किंतु ऐसे किसी प्रस्ताव को लाने के लिए 14 दिनों की पूर्व सूचना आवश्यक है।



संरचना
1/6 सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करते हैं।
• 1/3 सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
• 1/3 सदस्य राज्य की स्थानीय संस्थाओं द्वारा चुने जाते हैं।
• 1/12 सदस्य राज्य के पंजीकृत स्नातकों द्वारा निर्वाचित होते हैं, जिन्हें स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण किए हुए कम से कम 3 वर्ष हो गए हो।

• 1/12 सदस्य राज्य के ऐसे अध्यापकों के द्वारा निर्वाचित होते हैं जो माध्यमिक पाठशाला या उच्च शिक्षण संस्था में कम से कम 3 वर्ष से पढ़ा रहे हो।



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