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High Court | उच्च न्यायालय | Art - 214 से 231| Bharat mein uchch nyayalay ki sankhya


उच्च न्यायालय
High Court
Art - 214 से 231

भारतीय संविधान के तहत राज्यों के न्यायिक प्रशासन में उच्च न्यायालय की स्थिति शीर्ष पर होती है। प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है।

 सातवें संविधान संशोधन अधिनियम 1956 द्वारा संसद को यह अधिकार दिया गया है कि वह दो या दो से अधिक राज्यों एवं एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक साझा उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकते हैं।

भारतीय संविधान में राज्यों के लिए उच्च न्यायालय हेतु अनुच्छेद 214 से 231 तक में प्रावधान किया गया है।

अनुच्छेद 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा।

 अनुच्छेद 215 के अनुसार उच्च न्यायालय अभिलेख न्यायालय होगा। अभिलेख न्यायालय होने का तात्पर्य उच्च न्यायालय के निर्णय आदेश आदि अधीनस्थ न्यायालय के लिए बाध्य कर होंगे।


उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक पद धारण करते हैं।

 उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राष्ट्रपति को संबोधित कर अपना त्यागपत्र दे सकते हैं। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति के आदेश से पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति ऐसा आदेश संसद द्वारा सत्र में पारित प्रस्ताव के आधार पर जारी कर सकता है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समान प्रक्रिया तथा सिद्ध कदाचार और असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए वही योग्यता है- 
 • जो भारत के नागरिक हैं।
• ऐसे व्यक्ति जो उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहे हो।
• ऐसे व्यक्ति जो 10 वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुके हो।

अनुच्छेद 202 के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन राज्य की संचित निधि से दिया जाता है।

अनुच्छेद 223 के अनुसार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त रहने पर या अनुपस्थित रहने पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।

अनुच्छेद 226 के तहत मूल अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए रिट जारी करने की शक्ति उच्च न्यायालय को है।

अनुच्छेद 227 के अंतर्गत उच्च न्यायालय उस राज्य के सभी न्यायालयों पर अधीक्षण करने की शक्ति रखता है।

वर्तमान में उच्च न्यायालयों की संख्या 25 है। उनमें 7 का क्षेत्राधिकार एक से अधिक राज्यों पर है।

संसद उच्च न्यायालय के न्यायिक क्षेत्र में विस्तार कर सकते हैं। सर्वप्रथम 1862 ई. में कोलकाता, मुंबई और मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना 1866 ई. में हुई थी।

अनुच्छेद 233 के अनुसार किस राज्य में जिला न्यायाधीश नियुक्त होने वाले व्यक्ति की नियुक्ति तथा जिला न्यायाधीश की पदस्थापना और प्रोन्नति उस राज्य का राज्यपाल ऐसे राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करके करेगा।

अनुच्छेद 235 के तहत उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण रखता है। भारत में निवारक निरोध के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए अधिकतम 3 माह बंदी बनाकर रखा जा सकता है।

लोक अदालतों के माध्यम से सामान्य न्यायालयों में लंबित मामलों का दोनों पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर निपटारा किया जा सकता है। इसमें दीवानी मामलों के साथ-साथ कतिपय आपराधिक मामलों पर भी विचार किया जाता है।


Q. बाबरी मस्जिद / राम जन्म भूमि का विवाद जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ न्यायापीठ ) के समक्ष है, का प्रकार है - 

(a) परमादेश याचिका (Writ Petition )
(b) स्वत्वाधिकार मुकदमा (Title Suit )
(c) क्षतिपूर्ति का दावा (Claim for compensation )
(d) न्यायिक पुनरीक्षण याचिका (judicial review petition )



• देखते हैं कितने छात्र इस प्रश्न का उत्तर सही देते हैं। कमेंट करके हमें जरूर बताएं इसका सही उत्तर क्या होगा- 

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