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संघ लोक सेवा आयोग | UPSC | राज्य लोक सेवा आयोग | SPSC | राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग | NHRC | CVC | CBI


विभिन्न आयोग, संस्थाएं एवं पदाधिकारी

लोक सेवा आयोग | Public Service Commission

• भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत केंद्रीय सरकार के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति एवं सेवा संबंधी नियम बनाने के लिए लोक सेवा आयोग (PSC) के गठन का प्रावधान है। भारत में संघ तथा इसकी इकाइयों हेतु अलग-अलग लोक सेवा आयोगों का गठन किया गया है।



संघ लोक सेवा आयोग |Union Public Service Commission

 संविधान केेेेे अनुच्छेद 315(1) के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के गठन कााा प्रावधान है।
•  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) मैं अध्यक्ष सहित 10 सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

• संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु पूरी होने तक होता है।
• संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य अपना प्रतिवेदन एवं त्याग पत्र राष्ट्रपति को ही सौंपते हैं।
• यह आयोग प्रतियोगिता परीक्षाओं का संचालन करता है।
• राष्ट्रपति किसी शिकायत की उच्चतम न्यायालय से पुष्टि होने पर आयोग के किसी सदस्य को हटा सकता है।

राज्य लोक सेवा आयोग |State Public Service Commission

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को राज्यपाल सिर्फ निलंबित कर सकता है।
• राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को बर्खास्त करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को ही है।



• राज्य लोक सेवा आयोग में सदस्यों की कुल संख्या 10 होती है जिनकी नियुक्ति राज्यपाल करता है।
• राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक है।
• राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य राज्यपाल को अपना प्रतिवेदन एवं त्यागपत्र सौंपते हैं।


संयुक्त लोक सेवा आयोग | Joint Public Service Commission

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 (2) के अनुसार दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही लोक सेवा आयोग जिसे 'संयुक्त लोक सेवा आयोग' कहते हैं की स्थापना की जा सकती है।
• संयुक्त लोक सेवा आयोग ने 10 सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
• इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक होता है।
• संयुक्त लोक सेवा आयोग के सदस्य अपना प्रतिवेदन व त्याग पत्र राष्ट्रपति को देते हैं देश का एकमात्र संयुक्त लोक सेवा आयोग गुवाहाटी में स्थित है।


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग | NHRC

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन संसद द्वारा 1993 ई. में पारित एक अधिनियम के द्वारा किया गया है। मानवाधिकारों के संरक्षण हेतु इस संस्था का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है।
• इसमें एक अध्यक्ष तथा चार अन्य सदस्य होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसका अध्यक्ष बनाया जाता है।



• राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है इनका कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा तक दोनों में से जो पहले हो उस तक होता है।
• इनके वेतन एवं भत्ते केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जाते हैं इनमें सेवाकाल के दौरान कोई कटौती नहीं की जाती है।


केंद्रीय सतर्कता आयोग | CVC

सन 1964 ई. में संथानम समिति की रिपोर्ट के आधार पर इसका गठन किया गया था। इसका मुख्य कार्य भ्रष्टाचार पर रोक लगाना है।
• केंद्रीय सतर्कता आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है इसमें एक अध्यक्ष तथा दो सहायक आयुक्त होते हैं। इन सभी का कार्यकाल 4 वर्ष या 65 वर्ष (जो पहले हो ) की आयु सीमा तक होता है। इनके भत्ते संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के समान होते हैं।



• इस आयोग के पास दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
• आयोग अपनी वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है।


सी. बी. आई. | CBI

यह केंद्र सरकार की प्रमुख एजेंसी है इसकी स्थापना सन 1963 ई. में की गई थी।



• यह कैबिनेट सचिवालय के अधीन कार्य करता है।
• इसमें एक निदेशक, एक विशेष निदेशक, पुलिस उपमहानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, संयुक्त निदेशक जैसे कई पद होते हैं।
• इसका कार्य भ्रष्टाचार को रोकना एवं विशेष प्रकार के अपराधों की जांच करना है।


राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग

संविधान के अनुच्छेद 338 के अनुसार सन 1990 में गठित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग को वर्ष 2003 में 89 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में अलग-अलग गठित किया गया।
• इसमें एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष के अतिरिक्त तीन अन्य सदस्यों का प्रावधान है। आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री तथा उपाध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होता है।
• इस आयोग का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है इसके 12 राज्य कार्यालय हैं।
• इस आयोग का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जातियों के कल्याण सुरक्षा विकास तथा उन्नयन हेतु ऐसे कार्य करना है जो समय-समय पर राष्ट्रपति संसद के किसी कानून के माध्यम से इनको सौंपा जाएं।


केंद्रीय सूचना आयोग

12 अक्टूबर 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ। इसके अंतर्गत ही केंद्रीय सूचना आयोग का गठन किया गया।
• केंद्रीय सूचना आयोग का गठन एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा 10 से अनधिक सहायक सूचना आयुक्तों से मिलकर होता है।
• केंद्रीय सूचना आयोग की नियुक्ति एक समिति द्वारा की जाती है, जिसका गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। इस समिति में प्रधानमंत्री द्वारा नाम निर्देशित संघीय मंत्रिमंडल का सदस्य, लोकसभा में विपक्ष का नेता तथा स्वयं प्रधानमंत्री सम्मिलित होते हैं। प्रधानमंत्री इस नियुक्ति समिति के अध्यक्ष होते हैं।
• सूचना आयुक्त पद ग्रहण करने की तारीख से लेकर 5 वर्ष तक के लिए नियुक्त किया जाता है।
• सूचना आयुक्त पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति को प्रशासन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पत्रकारिता समाज तथा जनसंपर्क का व्यापक ज्ञान होना चाहिए।
• केंद्रीय सूचना आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
• सूचना आयुक्त को वही वेतन एवं भत्ते प्राप्त होते हैं जो निर्वाचन आयुक्त को दिए जाते हैं।


राज्य सूचना आयोग

राज्य सूचना आयोग का गठन एक समिति द्वारा किया जाता है।
• इस समिति का गठन राज्यपाल द्वारा किया जाता है। राज्य का मुख्यमंत्री इस समिति का अध्यक्ष तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता इसके सदस्य होते हैं। राज्य सूचना आयोग गठन के तारीख से लेकर 5 वर्ष तक कार्य करता है।
• राज्य सूचना आयोग के अध्यक्ष को राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के समान वेतन एवं सुविधाएं मिलते हैं तथा सूचना आयुक्तों को राज्य के मुख्य सचिव के समान वेतन एवं भत्ते दिए जाते हैं।



अंतर्राराज्य परिषद

जून 1990 में जनता दल की सरकार ने सरकारी आयोग की सिफारिश के आधार पर अंतर्राराज्य परिषद का गठन किया। 
• अनुच्छेद 263 में इसके दायित्वों का उल्लेख है अतः यह संवैधानिक निकाय है।
• प्रधानमंत्री द्वारा उनके द्वार मनोनीत 6 कैबिनेट मंत्री और सभी मुख्यमंत्री तथा विधानसभा रहित संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य प्रशासक इसके पदेन सदस्य होते हैं। 10 सदस्य के कोरम का उपबंध है। इसकी बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।
• इसका संघ और राज्यों या राज्य में आपस के विवादों का सुलझाना एवं विशेष विषयों पर सहयोग प्राप्त करना है।


क्षेत्रीय परिषद

1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम द्वारा भारत राज्य क्षेत्र को पांच क्षेत्रों में बांटकर पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई।
• पूर्वोत्तर पुनर्गठन अधिनियम द्वारा 1971 में पूर्वोत्तर परिषद का गठन किया गया।
• गृहमंत्री प्रत्येक परिषद का अध्यक्ष होता है। क्षेत्र के प्रत्येक राज्य का मुख्यमंत्री और दो अन्य मंत्री तथा संघ शासित क्षेत्र के प्रशासक इसके सदस्य होते हैं।


निर्वाचन आयोग | Election Commission

संविधान के अनुच्छेद 324 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद एवं राज्य विधान मंडल के सदस्यों के निर्वाचन कराने के लिए एक निर्वाचन आयोग के गठन का प्रावधान है। इसकी स्थापना 1950 ई. में की गई।
• प्रारंभ में यह आयोग एक सदस्यीय था जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त होते थे।
• 16 अक्टूबर 1989 को और दो आयुक्तों की नियुक्ति कर इसे बहूसदस्यीय बना दिया गया।
• 2 जनवरी 1990 को इसे पुनः एक सदस्यीय बना दिया गया। 1994 में एक अधिनियम द्वारा पुनः तीन सदस्यीय बनाया गया। निर्वाचन आयोग के आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है।
• भारत के प्रथम मुख्य निर्वाचन आयुक्त पद पर सुकुमार सेन 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक थे।
• निर्वाचन आयोग के आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु ( जो पहले हो ) होता है।
• मुख्य चुनाव आयुक्त को पदच्युत करने का प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान है।


निर्वाचन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

अनुच्छेद 325 के अनुसार प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मतदाता सूची का प्रावधान है।
• अनुच्छेद 326 के अनुसार निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है।
• 61 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा वर्ष 1989 में मताधिकार प्रयोग करने की न्यूनतम सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई है।



• अनुच्छेद 327 के अनुसार निर्वाचन संबंधी कानून बनाने का अधिकार संसद को है।
• संसद द्वारा पारित परिसीमन आयोग अधिनियम 1952 के तहत चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन एवं आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
• जनप्रतिनिधि संशोधन अधिनियम 1996 के अनुसार सक्षम न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय सम्मान के अपमान का दोषी घोषित व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता।


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