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संज्ञा किसे कहते हैं? संज्ञा की परिभाषा और संज्ञा के प्रकार sangya kise kahate Hain allahabad academy shamli

 

संज्ञा किसे कहते हैं? (Sangya kise kahate Hain)


संसार में जितनी भी वस्तुएं हैं सभी का कोई न कोई नाम है। हिंदी व्याकरण में नाम को ही संज्ञा कहा जाता है अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता है। जैसे- मनुष्य, पर्वत, घोड़ा, नदी, शहर, खेलना, हंसना, राहुल आदि।


संज्ञा किसे कहते हैं? इसे और अच्छे से जानने और समझने के लिए आप नीचे दिए गए वाक्यों में  रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए- 

1. केशव रेलगाड़ी से इलाहाबाद जाएगा।

2. सोहन घोड़े की सवारी करता है।

3. क्रोध पर मनुष्य को नियंत्रण रखना चाहिए।

4. ईमानदारी सर्वोत्तम गुण है।

5. बुढ़ापा सभी रोगों का घर है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में केशव और मोहन व्यक्तियों के नाम है, इलाहाबाद शहर का नाम है, घोड़ा और मनुष्य जानवर और आदमियों के नाम है, इमानदारी और बुढ़ापा अवस्था को बता रहे हैं। यह सभी किसी न किसी नाम को बता रहे हैं अतः जो शब्द किसी के नाम को बताते हैं वह संज्ञा कहलाते हैं।

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संज्ञा किसे कहते हैं? संज्ञा की परिभाषा और संज्ञा के प्रकार 

Sangya kise kahate Hain

संज्ञा किसे कहते हैं?

परिभाषा:- वह शब्द जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण और भाव का बोध होता है उसे संज्ञा कहते हैं।

उदाहरण:-

• व्यक्ति के नाम- मोहन, सोहन, रवीना, श्याम आदि। 

• वस्तुओं के नाम- कुर्सी, मेज, हथोड़ा, गिलास, चम्मच आदि।

• स्थानों के नाम- दिल्ली, मुंबई, इलाहाबाद, वाराणसी आदि।

• गुण व भाव- हंसना, रोना, गाना, अच्छाई, बुराई, बुढ़ापा आदि।


यह भी पढ़ें: 

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• रस किसे कहते हैं? रस के प्रकार

संज्ञा के प्रकार (भेद):-

संज्ञा को हम दो आधारों पर समझेंगे ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके। 

(क) व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा के भेद:

 व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा के तीन भेद होते हैं-

1. रूढ़ संज्ञा

2. योगिक संज्ञा

3. योगरूढ़ संज्ञा 


1. रूढ़ संज्ञा:-  वे संज्ञाए जिनके प्रत्येक खंड निरर्थक होते हैं रूढ़ संज्ञा कहलाते हैं। अर्थात जिन संज्ञा शब्दों को अलग करने पर कोई अर्थ नहीं देते हैं वह रूढ संज्ञा होते हैं जैसे- नल। अगर नल के 'न' और 'ल' को अलग करें तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता है। 

उदाहरण: घर, नल, कल, जल आदि।

2. योगिक संज्ञा:- सार्थक शब्दों के मेल से बनी संख्याओं को योगिक संज्ञा कहते हैं जैसे- हिमखंड। यदि हिमखंड के शब्दों 'हिम' और 'खंड' को अलग करते हैं तो देखते हैं कि यह दोनों सार्थक शब्द है अर्थात इनका अर्थ है।

उदाहरण: पाठशाला, गौशाला आदि।

3. योगरूढ़ संज्ञा:- वे संज्ञाए जिनका कोई विशेष अर्थ होता है या वह संज्ञा जो अपने खंडों को छोड़कर दूसरा अर्थ देते हैं योगरूढ़ संज्ञा होते हैं जैसे- जलज, यदि जलज का खंड किया जाए तो 'जल' और 'ज' सार्थक हैं यहां 'जल' का मतलब पानी से है, और 'ज' का अर्थ जन्म से है, जिसका अर्थ हुआ 'पानी में जन्मा'। पानी में कई जीव जंतु जन्म लेते हैं लेकिन यहां जलज का अर्थ 'कमल' होता है। ऐसी संज्ञाए योगरूढ़ संज्ञाए कहलाती हैं।

नोट: जिन संज्ञाओ के खंडों का कोई अर्थ नहीं होता है उसे रूढ़, जिन संज्ञाओ के खंडों का कोई अर्थ होता है उसे योगिक तथा जिन संज्ञाओ के खंडों का कोई विशेष व अलग अर्थ होता है उसे योगरूढ़ संज्ञा कहा जाता है।

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(ख) अर्थ के आधार पर संज्ञा के भेद: 

अर्थ के आधार पर संज्ञा के पांच भेद होते हैं जो निम्नलिखित हैं- 

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा

2. जातिवाचक संज्ञा 

3. भाववाचक संज्ञा

4. समूहवाचक संज्ञा

5. द्रव्यवाचक संज्ञा


1. व्यक्तिवाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से किसी खास व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण:

राम, मोहन, सोहन, हिमालय, गंगा, यमुना आदि।


2. जातिवाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से समस्त जाति का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है अर्थात वह संज्ञा जो खास व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि का बोध ना कराते हुए उससे संबंधित पूरी जाति का बोध कराता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं जैसे- मनुष्य। यहां मनुष्य कहने से किसी खास व्यक्ति के नाम का बोध नहीं होता बल्कि समस्त व्यक्तियों के जातियों का बोध होता है।

जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण: 

मनुष्य, लड़का, लड़की, गाय, हाथी, नदी, पर्वत आदि।

3. भाववाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से गुण, दशा, क्रिया, धर्म, भाव आदि का बोध होता है उस संज्ञा को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण:  

बचपन, बुढ़ापा, अपनापन, कमाई, मोटापा आदि।

4. समूहवाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति, वस्तु के समूह अथवा झुंड का बोध होता है उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।  

समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण: 

मेला, भीड़, कक्षा, वर्ग आदि।

5. द्रव्यवाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से किसी द्रव्य या द्रव्यों के नाम का बोध होता है उस संज्ञा को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं या जिसे नापा या तोला जा सके, वह द्रव्यवाचक संज्ञा है।

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण: 

लोहा, तांबा, चीनी, दूध, तेल, घी आदि।


तो दोस्तों यह तो हमारा पोस्ट sangya kise kahate Hain (संज्ञा किसे कहते हैं?) जिसमें हमने संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के प्रकार और उदाहरण के बारे में बताया है।

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