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जीव विज्ञान || Biology || Mitochondria || Cell || DNA || Ribosome || Nucleus

जीवविज्ञान (Biology) 

विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत सभी जीवधारियों का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है, जीव विज्ञान कहलाता है।
Biology शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1801 ई. में लैमार्क (France) और ट्रेवेरेनस (Germany) नामक वैज्ञानिकों द्वारा किया गया।
• जीव विज्ञान का जनक अरस्तु को कहा जाता है।



जीव विज्ञान की शाखाएं:
1. वनस्पति विज्ञान (Botany) : इसमें सभी प्रकार की वनस्पतियों का अध्ययन किया जाता है। वनस्पति विज्ञान के जनक थियोफ्रेस्टस थे।
2. जंतु विज्ञान (Zoology) : इसमें जीव जंतु तथा उनके क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाता है। इसके जनक अरस्तु थे।

कोशिका ( Cell ) 

कोशिका जीवन की आधारभूत इकाई है। कोशिका सभी जीवो की संरचनात्ममक एवं कार्यात्ममक इकाई होती हैं। 
कोशिका की खोज 1665 ई. मेंं रॉबर्ट हुक ने की थी।
सन 1881 में रॉबर्ट ब्राउन ने आर्किड की सजीव कोशिकाओं के बीच बनी एक संरचना देखी जिससे केंद्रक (Nucleus) कहते हैं।
• कोशिका के अध्ययन को Cytology एवं उतको के अध्ययन को Histology कहते हैं।
कोशिका भित्ति लवक और रितिकाए केवल पादप कोशिका में पाए जाते हैं। कोशिका भित्ति सैलूलोज की बनी होती है। सैलूलोज पृथ्वी पर सबसे अधिक पाया जाने वाला homeo polysaccharide है।


कोशिका संरचना ( Cell Structure ):
• कोशिका विभिन्न आकार की होती है जैसे बेलनाकर, अंडाकार, गोलाकार आदि।
• सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाजमा गैलिसेप्टिकम की होती है।
• सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे की है।
• सबसे लंबी कोशिका तंत्रिका कोशिका है।


जीवद्रव्य ( Protoplasm )

• कोशिका का एक प्राणदायक पदार्थ है। जीव द्रव्य जीवन का भौतिक आधार है इसे कोशिका द्रव्य एवं केंद्रक द्रव्य में बांटा गया है।
• कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन जीव द्रव्य के 99% भाग को बनाते हैं।

1. कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)

• यह एक पतली अर्धपारगम्य झिल्ली होती है, जिससे  कोशिकीय अवयव घिरे रहते हैं।
• यह झिल्ली वसा एवं प्रोटीन की बनी होती है।
• इसमें चयनात्मक पारगम्यता का गुण पाया जाता है। जिसके द्वारा यह वांछित पदार्थों को अंदर - बाहर जाने देता है जबकि अवांछित पदार्थों को कोशिका के अंदर जाने से रोक लेता है।
• इसे कोशिका का रक्षक (Guard) भी कहते हैं।
• पौधों की कोशिकाओं में कोशिका कला एक अतिरिक्त परत से गिरी होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं।
• कोशिका भित्ति मुख्यतः सैलूलोज की बनी होती है।
• कोशिका भित्ति के कारण ही पौधों में स्थानांतरीय गति संभव नहीं हो पाती है।


2. केंद्रक (Nucleus)

• कोशिका के मध्य में स्थित संरचना को केंद्रक कहते हैं। इसकी खोज 1831 ई. मेंं रॉबर्ट ब्राउन ने की थी।
• यह एक गोलाकार संरचना होती है।
• इसके द्वारा सभी कोशिकीय गतिविधियों का नियंत्रण होता है।
• केंद्रक का निर्माण केंद्रक कला, केंद्रक द्रव्य, केंद्रिका तथा केंद्रक जाल के द्वारा होता है।

DNA  (Deoxyribo Nucleic Acid):
डीएनए दो प्रकार के आधार से मिलकर बना होता है-
1. प्यूरीन जैसे - एडमिन और गुआनीन
2. पिरामिडीन जैसे - थाईमीन और साइटोसीन
• एडीनीन थाईमीन से और गुआनीन साइटोसीन से जुड़ा रहता है।

क्रोमैटिन (Chromatin):
केंद्रक के अंदर स्थित जाल जैसी रचना को क्रोमेटिंन जाल कहते हैं।
• इसमें स्टोन नामक प्रोटीन, DNA तथा RNA पाया जाता है।
कोशिका विभाजन के समय जब क्रोमेटिंग सिकुड़ कर अनेक छोटे एवं मोटे धागे के रूप में संगठित हो जाता है तो इसे गुणसूत्र (chromosome) कहते हैं।
• प्रत्येक जाति के जीव धारियों में गुणसूत्रों की संख्या अलग-अलग होती है।
• मनुष्य में 23 जोड़े (46) गुणसूत्र पाए जाते हैं।
• प्रत्येक गुणसूत्र में जेली के समान एक गाढा भाग होता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं।
• मैट्रिक्स में दो परस्पर लिपटे महीन एवं कुंडलित सूत्र होते हैं, जिन्हें क्रोमोनिमेटा कहते हैं।
• प्रत्येक क्रोमोनिमेटा एक अर्धगुणसूत्र कहलाता है।
• दो क्रोमेटेड एक निश्चित स्थान पर एक दूसरे से जुड़े होते हैं जिसे सेंट्रोमियर कहते हैं।
• गुणसूत्रों पर बहुत से जीन (Gene) स्थित होते हैं।
• एक पीढी से दूसरी पीढ़ी में जो लक्षण स्थानांतरित होते हैं, वे जीनों (Genes) के माध्यम से होते हैं।
• गुणसूत्रों को वंशानुगति का वाहक कहा जाता है।



3. कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)

कोशिका के अंदर केंद्रक को घेरे हुए पारभासी चिपचिपे द्रव्य को कोशिका द्रव्य कहते हैं।
• इसमें विभिन्न प्रकार के कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ रहते हैं। जैसे -  एंजाइम, लवण, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि।
• कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों के अतिरिक्त इसमें अनेक सजीव रचनाएं पाई जाती हैं, जिन्हें कोशिकांग कहते हैं।
• कोशिकांग के अंतर्गत अंतद्रव्यी जालिका, राइबोसोम, माइटोकॉन्ड्रिया, लवक, गॉल्जीकाय, लाइसोसोम, तारककाय तथा रसधानियां इत्यादि आते हैं


अंतद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum):
इसकी खोज गार्नियर नामक वैज्ञानिक ने 1897 ई. में की थी।
• चिकना अंतद्रव्यी जालिका की सतह पर राइबोसोम नहीं पाया जाता। यह लिपिड स्राव के लिए उत्तरदायी होती है।
• खुदरा अंतद्रव्यी जालिका की सतह पर राइबोसोम्स पाए जाते हैं। यह प्रोटीन संश्लेषण के लिए उत्तरदायी होता है।
• जीवाणु, नीले हरे शैवाल तथा स्तनधारियों की लाल रक्त कणिकाओं में  अंतद्रव्यी जालिका नहीं पाए जाते हैं।


लाइसोसोम (Lysosome):
• इसकी खोज डी. दुबे (D. Duve) नामक वैज्ञानिक ने की थी।



• यह अंत: कोशिका - पाचन क्रिया में सहायता करते हैं, इसलिए इसे पाचक थैली कहते हैं।
• अस्वस्थ तथा मृत कोशिकाओं का पाचन भी इनके द्वारा किया जाता है। ताकि नये कोशिकागों के लिए जगह मिल सके।
• क्षतिग्रस्त या मृत कोशिकाओं को को नष्ट करने की जरूरत पड़ने पर ये स्वयं को तोड़कर सारा द्रव्य मुक्त कर देते हैं। इसमें लाइसोसोम तथा कोशिका दोनों नष्ट हो जाती हैं।
• इसको आत्महत्या की थैली भी कहते हैं।


माइटोकांड्रिया (Mitochondria):
इसे कोशिका का ऊर्जा गृह (Power House of Cell) कहते हैं।
• इसकी खोज अल्टमान (Altman) ने की थी।
• इसमें एंजाइम द्वारा कोशिकीय श्सवन होता है, जिससे ऊर्जा पैदा होती है।
• यह आहार अणुओ की ऊर्जा को ATP (Adenosine Triphosphate) में संग्रहित कर देता है जो शरीर की ऊर्जा का स्त्रोत है।

राइबोसोम (Ribosome):
इसकी खोज पैलेड के द्वारा की गई।
• यह RNA एवं प्रोटीन का बना होता है।
• इसका प्रमुख कार्य प्रोटीन का संश्लेषण है, इसलिए इसे प्रोटीन फैक्ट्री भी कहते हैं।


तारककाय (Centrosome):
यह मुख्यतः पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
• यह अवर्णी लवक, वर्णी लवक तथा हरित लवक प्रकार का होता है।
• अवर्णी लवक पौधों की जड़ों एवं भूमिगत तनो में पाया जाता है। यह स्टार्च कणिकाओं व तेलीय बूंदों का निर्माण तथा संग्रह करता है


गॉल्जीकाय (Golgibodys):
इसकी खोज कैमिलो गाल्जी ने की थी।
• इसमें खोखली, चपटी नलिया होती है।
• यह प्रोटीन तथा अन्य पदार्थों को वहन करने का कार्य करता है। अतः इसे हम कोशिका के अणुओ का यातायात प्रबंधक कहते हैं।





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