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तंत्रिका तंत्र || Nervous System || Nervous System Parts and Functions



तंत्रिका तंत्र (Nervous System)


मानव शरीर के अंगो का समूह जो सोचने, समझने, किसी घटना या तथ्य को याद रखने तथा विभिन्न अंगों के कार्यों में सामंजस्य तथा संतुलन स्थापित करने का कार्य करते हैं, तंत्रिका तंत्र कहलाते हैं। न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई है।

मनुष्य के मस्तिष्क का सबसे विकसित एवं बड़ा भाग सेरीब्रम है। मस्तिष्क का सबसे पिछला भाग मेडुला आंवलागेटा कहलाता है। मेडुला आंवलागेटा का पिछला भाग मेरुरज्जू कहलाता है। तंत्रिका तंत्र निम्नलिखित प्रकार का होता है-

1. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System):

• यह तंत्रिका तंत्र का वह भाग है जो संपूर्ण शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है। इसके दो भाग होते हैं - (a) मस्तिष्क (Brain)  (b) मेरुरज्जु (Spinal Cord)

(a) मस्तिष्क (Brain):
 यह अत्यंत संवेदनशील तंत्रिका ऊतकों से बना मुलायम सफेद होता है। सामान्य मनुष्यों में इसका औसत वजन 1400 ग्राम होता है। महिलाओं के मस्तिष्क का भार 1200 ग्राम होता है। यह एक अस्थियों के खोल क्रेनियम में बंद होता है जो इसे बाहरी आघातों से बचाता है। यह तीन झिल्लियों से ढका रहता है जिन्हें मस्तिष्क आवरण कहते हैं। मस्तिष्क आवरण में सूजन आने पर मेनिनजाइटिस नामक घातक बीमारी हो जाती है। मस्तिष्क को अग्र मस्तिष्क, मध्य मस्तिष्क तथा पश्च मस्तिष्क में विभाजित किया जा सकता है।  

(b) मेरुरज्जु (Spinal Cord):
यह मेडुला आंवलागेटा का पिछला भाग होता है। यह बेलनाकर छड के समान संरचना है जो कशेरुक दंड की न्यूरल केनाल में रहती है। मस्तिष्क की तरह यह भी झिल्लियों से ढकी रहती है। झिल्लियों के मध्य सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव्य भरा रहता है जो स्पाइनल कॉर्ड को बाहरी आघातों से बचाता है। इसका मुख्य कार्य संवेदी आवेगो को मस्तिष्क में लाना तथा वहां से ले जाना है। इसके अतिरिक्त यह प्रतिवर्ती क्रिया के केंद्र का भी कार्य करता है।


2. परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System):
इसके अंतर्गत वें सभी तंत्रिकाऐ आती है जो मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु से निकलती है। मस्तिष्क से निकलने वाली सभी तंत्रिकाओं को कपालीय तंत्रिकाएं कहते हैं। इनकी कुल संख्या 24 या 12 जोड़ी होती है। मेरुरज्जु से 31 जोड़ी तंत्रिकाएं निकलती हैं। इन तंत्रिकाओं को स्पाइनल तंत्रिकाएं कहते हैं। इनका मुख्य कार्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शरीर के विभिन्न भागों में स्थित संवेदागो तथा अपवाहक ऊतकों से जोड़कर शरीर में एक विस्तृत सूचना संचार प्रणाली (Communication System) स्थापित करना है।


3. स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System):
यह कुछ मस्तिष्क तथा कुछ मेरुरज्जु तंत्रिकाओं का बना होता है। यह शरीर के सभी आंतरिक अंगों एवं रक्तवाहिनिओं को तंत्रिकाओं की आपूर्ति करता है। यह अनुकंपी तथा परानुकंपी प्रकार का होता है। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस के द्वारा किया जाता है।अनुकम्पी तथा परानुकंपी की तंत्रिकाए एक-दूसरे के विपरीत कार्य करके शारीरिक क्रियाओं में समन्वय एवं नियंत्रण स्थापित करते हैं। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के द्वारा निम्नलिखित कार्यों का संपादन किया जाता है - 
(a) यह लार तथा स्वेद ग्रंथियों के स्राव को नियंत्रित करता है।
(b) त्वचा में उपस्थित रक्त वाहिनीयों को संकीर्ण करता है।
(c) रक्त में RBC की मात्रा बढ़ाता है तथा रक्त का थक्का जमने में सहायता प्रदान करता है।




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