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The State Excutive | राज्य की कार्यपालिका | राज्यपाल | Governor


The State Excutive 
राज्य की कार्यपालिका

राज्यपाल |Governor | Art - 153
• राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है। वह प्रत्यक्ष रूप से अथवा अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इसका उपयोग करता है।

• प्रत्येक राज्य में राज्यपाल होता है लेकिन एक ही राज्यपाल को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।

राज्यपाल की योग्यता: 
• राज्यपाल पद पर नियुक्त किए जानेेे वाले व्यक्ति मैं निम्न योग्यताएंं होना अनिवार्य है - 
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3. किसी प्रकार के लाभ के पद पर नहीं हो।
4. वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो।

• राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्षों की अवधि के लिए की जाती है, परंतु राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है।

• राज्यपाल पद ग्रहण करने से पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख अपने पद की शपथ लेता है।



राज्यपाल की शक्तियां तथा कार्य:
1. कार्यपालिका संबंधी कार्य
राज्य के समस्त कार्यपालिका कार्य राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं।

• राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मुख्यमंत्री की सलाह से उसके मंत्रिपरिषद के सदस्यों को नियुक्त करता है तथा उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।

• राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारियों जैसे महाधिवक्ता राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति करता है तथा राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है।

• राज्यपाल का अधिकार है कि वह राज्य के प्रशासन के संबंध में मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करें।

• जब राज्य का प्रशासन संवैधानिक तंत्र के अनुसार ने चलाया जा रहा हो तो राज्यपाल राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करता है।

• राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रूप में राज्य का प्रशासन चलाता है।

• राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा उपकुलपतियों को भी नियुक्त करता है।
2. विधायी अधिकार
राज्य विधानमंडल का अभिन्न अंग है।

• राज्यपाल विधानमंडल का सत्र आहूत करता है, उसका सत्रावसान करता है तथा उसका विघटन करता है। राज्यपाल विधान सभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों में संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है।

• वह राज्य विधान परिषद की कुल सदस्य संख्या का 1/6 भाग सदस्य को नियुक्त करता है। जिसका संबंध कला, विज्ञान, साहित्य, समाजसेवा, सहकारी आंदोलन आदि से होता है।

• राज्य विधानसभा के लिए आंग्ल भारतीय समुदाय के 1 सदस्य को मनोनीत करता है। ( Art 333 )

• राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है।

• जब विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा हो और राज्यपाल को ऐसा लगे कि तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है। जिसे वही स्थान प्राप्त है जो विधान मंडल द्वारा पारित किसी अधिनियम का है। ऐसे अध्यादेश 6 सप्ताह के भीतर विधान मंडल द्वारा स्वीकृत होना आवश्यक है। यदि विधानमंडल 6 सप्ताह के भीतर उसे अपनी स्वीकृति नहीं देता है, तो उस अध्यादेश की वैधता समाप्त हो जाती है।

3. वित्तीय अधिकार
विधानसभा में धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जाता है।

• ऐसा कोई विधायक जो राज्य की संचित निधि से खर्च निकालने की व्यवस्था करता हो, उस समय तक विधान मंडल द्वारा पारित नहीं किया जा सकता जब तक राज्यपाल इसकी संस्तुति न कर दें।

• राज्यपाल की संस्तुति के बिना अनुदान की किसी मांग को विधानमंडल के सम्मुख नहीं रखा जा सकता।

• विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बनते हैं। उसकी सहमति से ही धन विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति की तरह वह धन विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकता, परंतु उस पर अपनी स्वीकृति रोक सकता है जिससे धन विधेयक समाप्त हो जाता है।

न्यायिक शक्तियां (Art - 161 )
अनुच्छेद 161 के अनुसार किसी राज्य के राज्यपाल को उस राज्य की कार्यपालिका विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए दंड को क्षमा, उसका  प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघु करण की शक्ति होगी।

सरोजिनी नायडू भारत की प्रथम महिला थी जिन्हें राज्यपाल पद पर मनोनीत किया गया था।



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